C++ Tokens

    Token in C++

    C++ में  Programming(प्रोग्रामिंग) करने के लिए विभिन्न प्रकार के अक्षर तथा चिन्ह प्रयोग में लिए जाते हैं, जिन्हें creator set(कैरेक्टर सेट)  कहा जाता है। दूसरे शब्दों में creator set(कैरेक्टर सेट) से आशय उन अक्षरों से है जिन्हें किसी Programming Language(प्रोग्रामिंग भाषा) में प्रयोग किया जाता है। कैरेक्टर सेट में अंग्रेजी भाषा के अक्षर, डिजिट्स तथा नम्बर आदि हो सकते हैं। C++ का कैरेक्टर सेट निम्नानुसार है

    LettersA-Z, a-z
    Digits0-9
    Special Symbols+ - * / # < >  $ % etc.
    White Spacetab, space, new line char. etc.

    Token:-

    किसी प्रोग्राम की सबसे छोटी इकाई को टोकन कहते हैं। टोकन को लैक्सिकल यूनिट भी कहा जाता है। C++ में निम्न पांच प्रकार के टोकन्स होते हैं.

    1. Keywords(कीवर्ड्स )
    2. Identifiers(आइडेन्टीफायर्स )
    3. Constants( कॉन्स्टेट्स)
    4. Separators(सैपरेटर्स)
    5. Operators(ऑपरेटर्स)

    Keywords:-

    asm
    auto
    bool
    break
    case
    catch
    char
    class
    const_cast
    continue
    default
    delete
    do
    double
    dynamic_cast
    else
    enum
    explicit
    export
    flase
    float
    for
    friend
    goto
    if
    inline
    int
    long
    mutable
    namespace
    new
    operator
    private
    protected
    public
    register
    reinterpret_cast
    return
    short
    signed
    sizof
    static
    switch
    template
    this
    throw
    true
    try
    typedef
    typeid
    typename
    union
    unsigned
    using
    virtual
    void
    volatile
    wchar_t
    while


     Identifiers:-

    किसी प्रोग्राम में वे Veritable Array(रिएबल एरे) ऑब्जेक्ट, फंक्शन आदि के नाम को Identifier(आइडेन्टीफायर) कहते हैं। C++ में Identifier(आइडेन्टीफायर) बनाने के लिए निम्न नियम होते हैं।

    • इनमें अंग्रेजी के अक्षर (A-Z,  a-z), डिजिट्स (0-9) तथा Underscore( _ )  का ही प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए emp sal एक गलत Identifier(आइडेन्टीफायर) है जबकि  emp_sal सही  Identifier(आइडेन्टीफायर) है। 
    •  इन्हें डिजिट से प्रारंभ नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए 1emp एक गलत आइडेन्टीफायर है जबकि emp1 सही आइडेन्टीफायर है।
    • ये case sensitive(केस सेंसिटिव) होते हैं। अर्थात् sal एवं Sal दो अलग-अलग आइडेन्टीफायर हैं। 
    • Identifier(आइडेन्टीफायर)  का नाम कोई keyword(कीवर्ड) नहीं होना चाहिए।
    • इनकी अधिकतम लंबाई (variable's length) 32 अक्षर हो सकती है। यह सीमा अलग-अलग कंपाइलर पर अलग-अलग हो सकती है।

    Constants:-

    Constants( कॉन्स्टेट्स) ऐसे data item होते हैं जिनकी value को बदला नहीं जा सकता हैं। literals भी कहा जाता हैं। C++ में निम्न प्रकार के constant  होते हैं। 

    1. Integer Constants 
    2. Corrector Constants 
      1. Single Corrector Constants 
      2. None Graphical Corrector Constants 
    3. Floating point Constants
    4. Staring Constants 

    Integer Constants

    इंटीजर कॉन्सटेंट पूर्णांक संख्याएं होती हैं। अर्थात् इनमें दशमलव () वाली संख्याएं नहीं होती हैं। इंटीजर कॉन्सटेंट से संबंधित मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं

    • ये धनात्मक (+) तथा ऋणात्मक (-) दानों ही प्रकार के हो सकते हैं।
    • इन्हें लिखते समय comma (.) का प्रयोग नहीं किया जाता है।
    Example:

    123   
    -45 
    +354

    Corrector Constants

    Corrector Constants (कैरेक्टर कॉन्सटेंट्स) दो प्रकार के होते हैं Single Corrector Constants(सिंगल कैरेक्टर कॉन्सटेंट्स) तथा None Graphical Corrector Constants( नॉन ग्राफिक कॅरेक्टर कॉन्सटेंट्स)। single quote (' ') में लिखे गए अक्षर को Single Corrector Constants(सिंगल कैरेक्टर कॉन्सटेंट्स) कहते हैं।

    उदाहरण के लिए 'x' तथा Single Corrector Constants(सिंगल कैरेक्टर कॉन्सटेंट्स) हैं। None Graphical Corrector Constants( नॉन ग्राफिक कॅरेक्टर कॉन्सटेंट्स) वे होते हैं जिन्हें कीबोर्ड से सीधे टाइप नहीं किया जा सकता है, जैसे backspaces(बैकस्पेस) , Tab(टैब) , New line(न्यू-लाइन) आदि।

    नॉनग्राफिक कैरेक्टर को प्रदर्शित करने के लिए Escape Sequence Corrector (एस्केप सीक्वेंस कैरेक्टर) का प्रयोग किया जाता है। Escape Sequence Corrector (एस्केप सीक्वेंस कैरेक्टर) को backslash( / ) तथा उसके बाद एक या अधिक अक्षरों द्वारा लिखा जाता है। निम्नलिखित सारणी में Escape Sequence Corrector (एस्केप सीक्वेंस कैरेक्टर) को दर्शाया गया है:

    \n Generate Beep Sound(alert)
    /b Backspace key
    /f Form feed
    /n New Line
    /r Carriage Return
    /t Tab Key
    /0 NULL
    // Backslash Key
    /' Single quotation
    /" Double quotation

    Floating point Constants

    Floating point Constants (फ्लोटिंग पॉइंट कॉन्सटेट्स) को Real Constant (रियल कॉन्सटेंट्स) भी कहा जाता है। ये दो प्रकार के होते हैं:

    Fractional Form

    Fractional Form (फ्रेक्शनल  रूप)  में दशमलव वाली संख्याएं आती है  अर्थतः  जब किसी संख्‍या में स्थित दसमलव से पहले व दसमलव के बाद में दोनों ओर कम से कम एक अंक हो, तो इस प्रकार की संख्‍या को Fractional Form Floating Point Constant कहा जाता है। जैसे 12.34, 56.78 आदि।  इस प्रकार का Literal किसी  Constant Identifier (कॉन्सटेट्स इडेंटिफिएर) को Assign करने के लिए हमें निम्नानुसार Declaration करना होता हैः

    const float PI = 3.14;
    इस Statement में 3.14 एक Fractional Form Literal है।

    Exponential Form

    चूंकि बडी संख्‍याओं को हमेंशा सरलता से Use करने के लिए घातांक रूप में Convert करके Use किया जाता है।
    इसलिए इस Literal को भी हम Exponent Form में Convert करके Use कर सकते हैं। Exponential Form(एक्स्पोनेंट रूप) में रियल कॉन्सटेंट को लिखते समय या E का प्रयोग किया जाता है, जैसे [0.13E01 0 13001 आदि।

    इस प्रकार की संख्या के दो भाग होते हैं मैटिसा (Mantissa) तथा एक्स्पोनेंट (Exponent)। उदाहरण के लिए संख्या 0.13E01 में 013 (जो कि E से पहले है) को मैटिसा तथा 01 को एक्स्पोनेंट कहा जाता है। इसी संख्या को 0.13x10' या 0.13001 के रूप में भी लिखा जा सकता है।

    String Constants

    एक से अधिक अक्षरों को यदि double quote ("") में लिखा जाता है तो वे String Constants(स्ट्रिंग कॉन्सटेंट) कहलाते है। उदाहरण के लिए "Hello", "world" आदि String Constants(स्ट्रिंग कॉन्सटेंट) ही हैं।

    Separators:-

    Senators(सैपरेटर्स) को punctuators भी कहा जाता है। ये ऐसे सिंबल होते हैं जिनका प्रयोग प्रोग्राम की Unites(यूनिट्स) को separate(अलग) करने के लिए किया जाता है। C++ में उपलब्ध Senators(सैपरेटर्स) निम्नानुसार हैं.

    []Square Brackets(स्क्वायर ब्रेकेट्स)
    ()Parenthesis(पैरेथिसिस)
    {}Curly Braces(कर्ली ब्रेसिस)
    ,Comma(कौमा)
    ;Colon(कोलन)

    Operators

    किसी भी फार्मूले में वह तत्व जो यह बताते हैं कि कौनसा ऑपरेशन किया जाना है, उदाहरण के लिए 2+4 में यह बता रहा है कि जोड़ने की प्रक्रिया की जानी के अन्य कई ऑपरेटर है, जिन्हें हम आगे के अध्यायों में जानेंगे।

    First Program of C++ 

    C++ के प्रोग्राम में भी C के प्रोग्राम की भांति ही main() फंक्शन का प्रयोग किया जात हैं। तथा header files (हेडर फिलेस) को प्रोग्राम में शामिल किया जाता है। इसे निम्न उदाहरण से समझा जा सकत हैं।

        
        #include<iostream>
        #include<stdio.h>
        using namespace std;
        int main(){
            cout<<"Namste bharat";
            return 0;
        }

    यह ध्यान रखें कि हमारे द्वारा टाइप किया गया प्रोग्राम सोर्स कोड कहलाता है। यह एक साधारण टैक्स्ट फाइल होती है। इस टैक्स्ट फाइल का एक्सटेंशन CPP होता है। अब हम संक्षेप में इस प्रोग्राम की विभिन्न पंक्तियों को समझते हैं।

    #include<iostream>:-   यह लाइन हैडर लाइन कहलाती है। यह हमेशा प्रोग्राम में प्रारंभ में ही लिखी जाती है। इसका आशय यह है कि हम जो प्रोग्राम लिख रहे हैं उसमे lostream नामक फाइल (जो C++ के कंपाइलर के साथ ही कम्प्यूटर में स्टोर होती है) को शामिल कर रहे हैं। ऐसे सभी प्रोग्राम जिसमें हमें यूजर से कुछ इनपुट लेना हो या कुछ आउटपुट देना हो तो इस लाइन को लिखना आवश्यक होता है।

    main ():-   यह एक फंक्शन है। C++ के प्रोग्राम में एक से अधिक फक्शन हो सकते हैं किन्तु उसमें से एक फंक्शन का नाम main() होना आवश्यक होता है। जब किसी प्रोग्राम को रन किया जाता है तो उसका प्रारंभ main () फंक्शन से ही होता है main () की अगली लाइन में । और फिर प्रोग्राम के अंत में ) का प्रयोग किया गया है। यह चिन्ह main() या किसी भी अन्य फंक्शन के प्रारंभ और अंत को दर्शाते हैं।

    cout << "Namaste Bharat"; :-  इस लाइन के माध्यम से हम एक संदेश "Namaste Bharat" कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रिंट करवा रहे हैं। जब यह प्रोग्राम रन कराया जाएगा तो यह संदेश कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाएगा।

    C++ में लिखे जाने वाले प्रत्येक स्टेटमेंट के अंत में सेमीकॉलन ( ; ) का चिन्ह अवश्य आता है।

    उपरोक्त सोर्स कोड अपने आप में संपूर्ण है, जिसे C++ के कंपाइलर पर रन कराया जा सकता है। चूंकि सोर्स कोड एक साधारण टैक्स्ट फाइल है अंत कम्प्यूटर इसे सीधे रन नहीं करा सकता है। कम्प्यूटर द्वारा समझी जाने वाली भाषा (मशीन लैंग्वेज) में बदलने के लिए इसे कंपाइल किया जाता है। इसके लिए कम्प्यूटर पर C++ का कंपाइलर इंस्टॉल होना चाहिए। तत्पश्चात् कंपाइलर के साथ इंस्टॉल होने वाले टैक्स्ट एडीटर में सोर्स कोड को टाइप किया जा सकता है। सोर्स कोड को टाइप कर लेने के बाद इसी एडीटर में Run Run विकल्प को चुनते हुए उसे रन कराया जा सकता है।

    जब कभी भी सोर्स कोड को एन कराया जाता है तो वह पहले कंपाइल होता है। यदि इस स्तर पर कोई एरर मिलती है तो उन एरर्स की सूची हमारे सामने प्रदर्शित कर दी जाती है। अन्यथा अगला स्तर जिसे लिकिंग के नाम से जाना जाता है, पूर्ण किया जाता है। लिंकिंग के पश्चात् एक exe फाइल बनती है, जिसे एक्जीक्यूटेबल फाइल कहा जाता है। यही वह फाइल है जिसे रन करवाना होता है।

    ध्यान दें कि C++ के कपाइलर विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। इस पुस्तक में प्रस्तुत सभी उदाहरण Turbo C++ver 3 कंपाइलर को प्रयोग करते हुए बनाए गए हैं।


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