C programming language
Language:-
जिस तरह से किसी व्यक्ति को अपनी बात शेयर करने के लिए किसी ना किसी भाषा यह संकेत का इस्तेमाल किया जाता है उसी तरह से कंप्यूटर से काम करवाने के लिए भी हमें किसी ने किसी भाषा की जरूरत होती है जिसे हम Programming Language कहते हैं.
इस chapter में हम बात करने वाले हैं C Language की।
Programming Language:-
Computer से अपने विचारों का आदान प्रदान करें जिस माध्यम का प्रयोग किया जाता है उसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज Programming Language कहा जाता है।
जैसे:- C language, C#, C++, Java, Python etc.
Program:-
किसी भी Data को Process करने के लिए जो कोड(Code) लिखे जाते हैं, उन कोड( Code ) के समूह (Group) को प्रोग्राम(program) का जाता है। अर्थात निर्देशों के समूह(group of instruction) को प्रोग्राम( Program ) का जाता है।
Programmer:-
वह व्यक्ति जो प्रोग्राम (Program) की कोडिंग(Coding) करता है, उसे प्रोग्रामर (Programmer) कहा जाता है।
Various stage in programming
Program analysis:-
यदि यह सभी पता लगाने के बाद प्रोग्रामर(Programmer) को यह लगता है कि समस्या का समाधान कंप्यूटर से संभव है तो वह अगले स्टेज(Stage) को स्टार्ट(start) करता है।
Program Design:-
इस स्टेज(stage) में प्रोग्रामर(programmer) में प्रोग्राम(Program) का डिजाइन(Design) तैयार करता है। अर्थात प्रोग्राम(Program) प्रोसेस(Process) को स्टेप बाय स्टेप(step-by-step) तैयार करता है।
इसके लिए निम्न टूल्स (tools) यूज(Use) किए जाते हैं।
- Flow Chart
- Algorithm
- Design table
Program Code:-
इस स्टेज में प्रोग्रामर(Programmer) कोड(Code) लिखना आरंभ करता है तथा यह कोड किसी न किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज(programming Language) में लिखे जाते हैं।
इसमें निम्न बातों का ध्यान रखा जाता हैं।
- simple code
- memory management
- less processing
प्रत्येक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज(programming Language) के कोई न कोई स्टैंडर्ड रूल्स (standard rules) होते हैं, या ग्रामर(grammar) होती है जिसका प्रयोग(use) करते हुए प्रोग्राम(program) को लिखा जाता है।
Programming debugging:-
Computer में bugg का अर्थ त्रुटि होता है, वैसे प्रोग्राम(program) प्रोग्रामिंग(programming) करते समय सावधानी पूर्ण लिखता(typing) है, फिर भी कहीं न कहीं त्रुटि(error) रह जाती है,
बग(bugg) को ढूंढना ही डीबगिंग(debugging) कहलाता है, तथा प्रोग्रामर(programmer) डीबगिंग(debugging) कर के प्रोग्राम में गलतियों(error) को सही कर सकता है।
Program Documentation:-
इस stage में Programmer एक मैन्यू स्टेज(menu stage) तैयार करता है, जिसे प्रोग्राम को रन करने के लिए सभी निर्देश दिए होते हैं अर्थात प्रोग्राम को यूज(use) में लेने के लिए मैन्युअल गाइड(manual guide) तैयार की जाती है।
Program maintenance:-
इसमें प्रोग्राम(program) की समय-समय पर की जाती है इस स्टेज में किसी भी प्रकार की अपडेशन(Updation) करना होता है तो प्रोग्रामर(programmer) के द्वारा किया जाता है।
Algorithm:-
किसी समस्या(problem) को हल(solve) करने के लिए जो स्टेप(step) लिखे जाते हैं तो उसे एल्गोरिथ्म(algorithm) करते हैं। अर्थात एल्गोरिथ्म(algorithm) एक समस्या(problem) का समाधान(solution) है। जिसमें कुछ वाक्य(sentence) अंग्रेजी(English) में लिखे जाते हैं, अन्य सुडो कोड(pseudo code) में लिखा जाता है सबसे बढ़िया एल्गोरिथ्म(algorithm) वह एल्गोरिथ्म(algorithm) होता है जो कम मेमोरी(memory) व कम प्रोसेस(process) में होता है।
Advantage of Algorithm:-
- समस्या(problem) का समाधान(solution) आसानी से कर सकते है।
- एल्गोरिथ्म(Algorithm) को फ्लोचार्ट(flowchart) में बदल सकते हैं।
- Algorithm easy to learn and write program.
Disadvantage of Algorithm:-
- बड़े प्रोजेक्ट(project) पर लागू करना मुश्किल है। एल्गोरिथ्म (Algorithm) का इस्तेमाल(use) बड़े प्रोजेक्ट(project) पर करने पर टाइम(time) ज्यादा लगता है।
एल्गोरिथ्म(Algorithm) से समस्या(problem) का समाधान(solution) करने के लिए कुछ उदाहरण
(i) दो नंबर को जोड़ने(addition) का प्रोग्राम(program) बनाना:-
Step 1 : Start
Step 2 : 2 numbers (a, b)
step 3 : a + b
Step 4 : Total
Step 5 : Stop
(ii) दो नंबर का गुणा करना:-
Step 1 : Start
Step 2 : 2 number (x, y)
Step 3 : x*y
Step 4 : Display multiplication
Step 5 : Stop
(iii) दो नंबर की वैल्यू(value) को आपस में बदलना (swap):-
Step 1 : Start
Step 2 : Read a two number(a, b)
Step 3 : Value "a" to copy into "c"
Step 4 : Value "b" copy into a
Step 5 : Value "c" copy into "b"
Step 6 : Display (a, b)
Step 7 : Stop
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